
थामारी कुण्ड हरकोट के जंगलो में स्थित है ,यहाँ जाने के लिए हमें हनुमान मंदिर तक गाड़ी से जाना पड़ता है । मुझे आज भी याद है जब हम विद्या मंदिर मुनस्यारी पड़ते थे तब हम गए थे ,उस समय हम बहुत छोटे थे हमे जानने के उत्सुकता बहुत ज्यादा थी की आखिर वहा कैसा कुण्ड है ,हमारे घर वाले कहा करते थे की वहा बहुत समय पहले दो बतक भी हुवा करते थे जो की एक किसी शिकारी ने मार दिया है अब एक ही बतख है जो पूरे कुण्ड को साफ़ करता है ।हम मुनस्यारी से पैदल गए हनुमान मंदिर और चल पड़े थमरी ताल की ओर दो -तीन किलोमीटर चलने के बाद हमें एक मंदिर दिखा वह से नीचे जाने पर थामारी कुण्ड दिखा । हमारे साथ आये गुरु जनो ने बताया हमें यहाँ की गाथा , सबसे पहले हम मंदिर पे गए और अगरबत्ती ,फूल फल मंदिर पर चडाया फिर हम कुण्ड की तरफ गए । मंदिर पर एक छोटी बंदूक देख में अपने गुरूजी से एक सवाल पूछा , की यह बंदूक किस की है और गुरूजी ने बताया की यह उसी शिकारी की है जिस ने एक बथक को मारा था ,हम वह कुण्ड की तरफ गए और दिन का खाना खा के वह से घर एक दो घंटे के बाद वापस आ गए घर की तरफ । घर वालो से पूछा की जो हमें गुरूजी ने बताया है वो सही है या गलत तो वो भी यही सब बताया मुझे जो गुरु जी ने बताया था ,बताया जाता है की इस कुण्ड में देवीय शक्तिया है और इस कुण्ड को गन्दा किये जाने पर पुरे मुनस्यारी में बारिश होने लगती है है जब तक की यहाँ आ के पूजा न की जाय । अब यह कुण्ड पहले की तुलना में काफी छोटा हो गया है ।
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